Ya Fasla Nahi Hai.
साठ साल के सबसे बड़े ऐतिहासिक फैसले को सुनाते हुए इलाहाबाद की तीन सदस्यीय लखनऊ खंडपीठ ने एकमत से अयोध्या की मुख्य विवादित जमीन पर सुन्नी वक्फ बोर्ड का दावा खारिज कर दिया है। जबकि बाहरी जमीन के हिस्से हिंदू महासभा, निर्मोही अखाड़े और सुन्नी वक्फ बोर्ड को अलग अलग स्थान निर्धारित किए हैं। विवादित जमीन पर मुख्य गुंबद के नीचे की जमीन हिंदू महासभा को देने की बात कही गई है जबकि राम चबूतरा और सीता रसोई निर्मोही अखाड़े को दी गई है। बाहरी इलाके का एक हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को भी दिया गया है। दस हजार पन्नों के फैसले में विवादित स्थल पर तीन माह तक यथास्थिति बनाए रखे जाने की बात है।
एएसआई की रिपोर्ट बनी फैसले का आधार
अदालत ने भारतीय पुरातत्व विभाग यानी एएसआई की विवादित स्थल की खुदाई रिपोर्ट के नतीजों के आधार पर फैसला सुनाया। एएसआई के मुताबिक मसजिद की अपनी बुनियाद नहीं थी, इसे किसी मंदिर जैसे ढांचे की बुनियाद के ऊपर बनाया गया था। खुदाई के दौरान विवादित स्थल पर मिली एक बहुत पुरानी मूर्ति (जोड़े की) जिसे शिव पार्वती की मूर्ति माना जा रहा है, को भी आधार बनाया गया। इसके अलावा भी अदालत ने एएसआई के नतीजों प र गौर करते हुए उसके सभी आकलनों को आधार बनाते हुए फैसला सुनाया।
फैसला जनता की जीतः हिंदू महासभा
भाजपा नेता और हिंदू महासभा के वकील रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि जहां राम लला की मूर्ति है, उस उस स्थान से हटाया नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि मुख्य स्थान हिंदू महासभा को दिए जाने से स्पष्ट हो गया है कि कोर्ट भी यह मानता है कि उस स्थल पर राम लला का जन्म हुआ था। यह देश की उस तमाम जनता की जीत है जो मानती है कि अयोध्या में उस जगह पर भगवान राम जन्मे थे।
सुप्रीम कोर्ट जाएगा वक्फ बोर्ड
हाई कोर्ट के फैसले से असंतुष्ट सुन्नी वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट जाने का ऐलान किया है। बोर्ड के प्रवक्ता जफरयाब जिलानी का कहना है कि मामले को सुप्रीम कोर्ट में ला जाने की बात तय हुई है।
पक्षों के बयान-
राम लला की मूर्ति नहीं हटाई जाएगी - हिंदू महासभा
अदालत का फैसला स्वीकार है। देशवासी शांति से बनाए रखें - भास्कर दास, निर्मोही अखाड़ा।
हिंदू-मुसलमान एक समय ऐसा था, जब मिलकर रहते थे, पर अब माहौल नहीं है। दिल कहता है कि वो माहौल फिर से लौटे
Sala Jaj Apne No. Bna Gya.
जज धर्मवीर शर्मा
जन्म- 20 अक्टूबर 1948
शिक्षा- 1970 में वकालत की डिग्री हासिल करने के बाद धर्मवीर शर्मा यूपी में मुख्य कानून अधिकारी जैसे पदों पर काम किया।
कैरियर- 2002 में धर्मवीर शर्मा की नियुक्ति जिला और सत्र न्यायाधीश के रूप में हुई। वर्ष 2005 में अतिरिक्त जज के रूप में उनकी पदोन्नति हुई। 2007 में स्थाई जज के रूप में धर्मवीर शर्मा ने शपथ लिया। जज धर्मवीर शर्मा 1 अक्टूबर 2010 का अपने पद से रिटायर हा ेरहे हैं।
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